नई दिल्ली : केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने उत्तर प्रदेश में अवैध खनन मामले में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की भूमिका की जांच के शनिवार को संकेत दिए। सीबीआई सूत्रों ने यहां बताया कि श्री यादव सीबीआई के रडार पर हैं और उनसे पूछताछ की जा सकती है। माजवादी पार्टी (सपा) की सरकार में खनन मंत्री रही गायत्री प्रजापति की भूमिका पहले से ही जांच के दायरे में है। वर्ष 2011 के बाद के उत्तर प्रदेश के सभी खनन मंत्रियों से पूछताछ हो सकती है। वर्ष 2012-13 में खनन मंत्रालय तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पास ही था।सीबीआई ने बताया कि खनन घोटाले में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी बी. चन्द्रकला के अलावा आदिल खान, तत्कालीन खनन अधिकारी मोइनुद्दीन, सपा के विधान पार्षद रमेश मिश्रा और उनके भाई, खनन क्लर्क राम आश्रय प्रजापति, अंबिका तिवारी (हमीरपुर), संजय दीक्षित, खनन क्लर्क राम अवतार सिंह और उनके रिश्तेदार आरोपी हैं।दरअसल इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर 2016 से खनन घोटाले की जांच चल रही है। आरोप है कि रोक के बावजूद अधिकारियों और मंत्रियों की मिलीभगत से रेत खनन के ठेके दिये गये। उच्च न्यायालय ने सीबीआई को अवैध खनन घोटाले की जांच का निर्देश दिया है। न्यायालय ने सीबीआई को उत्तर प्रदेश के पांच जिलों- शामली, हमीरपुर, फतेहपुर, देवरिया और सिद्धार्थ नगर में अवैध रेत खनन के आरोपों की जांच का आदेश दिया।अवैध खनन के मामले में सीबीआई की टीमों ने शनिवार को लखनऊ, कानपुर, हमीरपुर, जालौन समेत कुल 12 जगहों पर छापेमारी की। सीबीआई टीम ने लखनऊ स्थित हुसैनगंज में सुश्री चंद्रकला के आवास पर भी छापा मारा। सफायर अपार्टमेंट में सीबीआई ने छापेमारी के दौरान कई दस्तावेज भी जब्त किये।गौरतलब है कि श्री यादव के नेतृत्व वाली पूर्व की सपा सरकार में सुश्री चंद्रकला की पोस्टिंग हमीरपुर में बतौर जिलाधिकारी हुई थी। उन पर आरोप लगा था कि उन्होंने जुलाई 2012 के बाद हमीरपुर जिले में 50 मौरंग खनन के पट्टे कर दिए थे। उस दौरान हालांकि ई-निविदा के जरिये मौरंग के पट्टों को स्वीकृत करने का प्रावधान था। इसके बावजूद नियमों की अनदेखी करते हुए ऐसा किया गया।
