Farmer protest: जिम्मेदारों के खिलाफ एफआईआर करे पंजाब सरकार... तभी करेंगे अंतिम संस्कार
Farmer protest: जिम्मेदारों के खिलाफ एफआईआर करे पंजाब सरकार... तभी करेंगे अंतिम संस्कार
नई दिल्ली Farmer protest: दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन में पुलिस और आंदोलनकारियों के बीच हर रोज झड़प हो रही है। इसी झड़प के बीच युवा किसान शुभकरण की मौत हो गई थी। पंजाब सरकार ने युवक की मौत पर शोक व्यक्त करते हुए परिजनों को एक करोड़ की राहत राशि और मृतक की बहन को सरकारी नौकरी देने का ऐलान किया था। इसके बाद भी किसानों में पंजाब की भगवंत मान सरकार से नाराजगी बढ़ी हैं। उनका आरोप है। कि शुभकरण की हत्या के मामले में आरोपियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज नहीं किया जा रहा है। ‘दिल्ली चलो’ आंदोलन में भाग लेने वाले किसान नेताओं ने कहा कि हरियाणा पुलिस और पंजाब के किसानों के बीच झड़प के दौरान मारे गए शुभकरण सिंह का अंतिम संस्कार तब तक नहीं होगा जब तक पंजाब सरकार इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं करती।
एफआईआर दर्ज के बाद करेंगे दाह संस्कार
किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री ने कहा था। कि शुभकरण की मौत के लिए जिम्मेदारलोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। लेकिन अब अधिकारी कह रहे हैं। कि यह संभव नहीं है। हमने (शुभकरण) परिवार से कहा है, कि इसमें दो दिन या 10 दिन लग सकते हैं। हमारे लिए पैसा महत्वपूर्ण नहीं है। हम मांग कर रहे हैं। कि एफआईआर दर्ज की जाए और फिर दाह संस्कार किया जाएगा।
मामला दर्ज नहीं कर सकते तो आप पंजाब का रक्षक कैसे: जगजीत सिंह
दिल्ली चलो’ मार्च का नेतृत्व कर रहे एसकेएम के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने दावा किया कि बठिंडा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने कहा है कि पुलिस हरियाणा के सुरक्षाकर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज नहीं कर सकी है। डल्लेवाल ने कहा, अगर आप मामला दर्ज नहीं कर सकते। तो आप खुद को पंजाब का रक्षक कैसे कह सकते हैं। बठिंडा के मूल निवासी 21 वर्षीय शुभकरण सिंह की बुधवार को हरियाणा पुलिस और पंजाब के किसानों के बीच झड़प के बीच पंजाब-हरियाणा सीमा पर खनौरी बॉर्डर पर मौत हो गई थी। यह घटना तब हुई जब किसान बैरिकेड्स की ओर बढ़े। इसके बाद पुलिस के साथ उनकी झड़प हो गई। पटियाला स्थित राजिंदरा अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक के अनुसार शुभकरण के सिर पर चोट लगी थी। किसानों द्वारा अपनी मांगें मानने के लिए दबाव डालने के कारण पोस्टमार्टम में भी देरी हुई।