गोलान हाइट्स में रॉकेट हमले में 12 की मौत, इजरायल ने हिजबुल्लाह को जिम्मेदार ठहराया

येरुशलम: शनिवार को इजरायल के कब्जे वाले गोलान हाइट्स के एक गांव में हुए रॉकेट हमले ने एक बार फिर क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस हमले में बच्चों समेत कम से कम 12 लोगों की मौत हो गई और 29 लोग घायल हो गए। इजरायल ने इसे 7 अक्टूबर के बाद से अपने खिलाफ सबसे घातक हमला करार दिया है।
इजरायल का कहना है कि उसने लेबनान से इजरायली क्षेत्र में घुसने वाले लगभग 30 रॉकेटों की पहचान की है और इस हमले के लिए ईरान समर्थित लेबनानी आतंकवादी समूह हिजबुल्लाह को जिम्मेदार ठहराया है। इस घटना ने इजरायल-लेबनान सीमा पर लंबे समय से जारी संघर्ष में नई वृद्धि की आशंका पैदा कर दी है। कई इजरायली राजनेताओं ने इस हमले का जवाब देने की मांग की है।
आयरन डोम की विफलता:
इस हमले के बाद सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि इजरायल का आयरन डोम सिस्टम, जिसे उसकी रक्षा कवच माना जाता है, इस घटना में क्यों नाकाम रहा। आयरन डोम अरबों डॉलर की लागत से बनाया गया है और इसका मुख्य उद्देश्य रॉकेट हमलों को रोकना है। हालांकि, पिछले साल अक्टूबर में जब हमास ने इजरायल पर हमला किया था, तब भी आयरन डोम की क्षमता पर सवाल उठे थे। बड़े हमलों के समय यह प्रणाली अपनी प्रभावशीलता साबित करने में विफल रही है, जिससे हर एंटी मिसाइल सिस्टम की कमियां उजागर होती हैं।
हिजबुल्लाह का खंडन:
हिजबुल्लाह ने इस हमले में अपनी भूमिका से साफ इनकार किया है। गोलान हाइट्स के मजदल शम्स गांव में हुए इस हमले में हुई 12 मौतों के अलावा, कम से कम 29 लोग घायल हुए हैं। मजदल शम्स एक बड़े ड्रूज समुदाय का घर है। गोलान हाइट्स में करीब 20,000 ड्रूज़ अरब निवास करते हैं, जिन्हें इजरायल ने 1967 की छह दिन की जंग के दौरान सीरिया से छीन लिया था और 1981 में अपने साथ मिला लिया था। अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के तहत यह इलाका कब्जे वाला माना जाता है। इस इलाके में लगभग 50,000 इजरायली यहूदी और ड्रूज़ निवास करते हैं, जिनमें से अधिकांश ड्रूज़ खुद को सीरियाई मानते हैं और इजरायली नागरिकता के प्रस्ताव को ठुकरा चुके हैं।