जाने कौन होगा श्रीलंका का नया राष्ट्रपति ? राष्ट्रपति चुनाव की वोटिंग जारी, 2022 के संकट के बाद देश में यह पहला चुनाव

जाने कौन होगा श्रीलंका का नया राष्ट्रपति ?  राष्ट्रपति चुनाव की वोटिंग जारी, 2022 के संकट के बाद देश में यह पहला चुनाव

भारत के पड़ोसी और चीन के कर्ज जाल की वजह से राजनीतिक अस्थिरता झेल रहे श्रीलंका में आज राष्ट्रपति चुनाव हो रहे हैं. देश में 2022 में आर्थिक पतन के बाद द्वीप राष्ट्र में यह पहला चुनाव हो रहा है। बता दे देश में राष्ट्रपति पद के लिए कुल 38 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं. इस चुनाव पर भारत और चीन की गहरी नजर रहेगी, क्योंकि यह द्वीपीय देश दोनों देशों के लिए रणनीतिक महत्व रखता है. देश भर में 13,400 से अधिक मतदान केंद्रों पर एक करोड़ 70 लाख लोग अपने मताधिकारों का इस्तेमाल करेंगे। मतदान सुबह 7 बजे शुरू हुआ जो शाम 5 बजे तक जारी रहेगा। चुनाव परिणाम रविवार तक घोषित किए जाने की संभावना है। बता दें कि राष्ट्रपति चुनाव की निगरानी के लिए विभिन्न अंतरराष्ट्रीय चुनाव निगरानी संगठनों के 116 प्रतिनिधि श्रीलंका पहुंचे हैं। पर्यवेक्षकों में 78 यूरोपियन यूनियन यानी कि EU से हैं। EU ने इससे पहले श्रीलंका में 6 बार चुनाव निगरानी की है।

आपको बता दे श्रीलंका के मौजूदा राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे देश को आर्थिक संकट से बाहर निकालने के अपने प्रयासों की सफलता के आधार पर एक निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। कई विशेषज्ञ इसके लिए 75 सील के विक्रमसिंघे की सराहना कर चुके हैं। विक्रमसिंघे ने बुधवार रात एक चुनावी रैली में कहा था, 'मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि हमने जो सुधार शुरू किए हैं, उनपर आगे बढ़ते हुए देश के दिवालियापन को समाप्त करूं।' त्रिकोणीय चुनावी लड़ाई में विक्रमसिंघे को नेशनल पीपुल्स पावर (NPP) के 56 वर्षीय अनुरा कुमारा दिसानायके और समागी जन बालावेगया (SJB) के 57 वर्षीय नेता साजिथ प्रेमदासा से कड़ी टक्कर मिल रही है।

श्रीलंका का अगला राष्ट्रपति भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण होगा. भारत श्रीलंका में बीजिंग के बढ़ते प्रभाव को लेकर चिंतित है. श्रीलंका भारत का परंपरागत रूप से एक मजबूत सहयोगी रहा है. श्रीलंका इस समय चीन के कर्ज जाल में फंसा है. चीन का बहुत भारी भरकम कर्ज श्रीलंका के ऊपर है, जिसकी वजह से श्रीलंका को अपना हंबनटोटा बंदरगाह चीन को 99 साल के लिए लीज पर देना पड़ा था. साजित प्रेमदासा श्रीलंका में बीजिंग के बढ़ते प्रभाव और भागीदारी के सबसे अधिक आलोचक हैं.