बिहार: नीतीश सरकार ने बढ़ाया मंत्रियों का वेतन, आगामी चुनाव से पहले कई प्रस्तावों को दी मंजूरी
पटना, 8 अप्रैल 2025 - बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए कई महत्वपूर्ण फैसलों पर मुहर लगा दी है। मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में मंत्रियों और उपमंत्रियों के मासिक वेतन व भत्तों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव पारित किया गया। इसके साथ ही सरकार ने विभिन्न विभागों में विकास और भर्ती से जुड़े कई अन्य प्रस्तावों को भी हरी झंडी दिखाई है।
मंत्रियों के वेतन में वृद्धि
सूत्रों के अनुसार, कैबिनेट ने मंत्रियों के मासिक वेतन और भत्तों में करीब 35,000 रुपये की बढ़ोतरी को मंजूरी दी है। इस फैसले के बाद अब बिहार के मंत्रियों का कुल मासिक वेतन और भत्ते लगभग 2.65 लाख रुपये हो जाएंगे। यह कदम पिछले साल विधायकों और विधान परिषद सदस्यों के वेतन में की गई बढ़ोतरी के अनुरूप बताया जा रहा है। एक मंत्री ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "मंत्रियों के वेतन में बढ़ोतरी विधायकों और विधान परिषद सदस्यों के समान अनुपात में की गई है। यह सरकार का नियमित कदम है।"
20 हजार पदों पर भर्ती का ऐलान
वेतन वृद्धि के अलावा, नीतीश सरकार ने एक अन्य बड़े फैसले में शिक्षा विभाग में लगभग 20,000 शिक्षक पदों पर भर्ती को मंजूरी दी है। यह कदम राज्य में शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने और बेरोजगारी से जूझ रहे युवाओं को राहत देने की दिशा में देखा जा रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले साल अगस्त में घोषणा की थी कि उनकी सरकार 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले 12 लाख सरकारी नौकरियां देने का लक्ष्य रखती है। इस भर्ती को उसी लक्ष्य की ओर एक कदम माना जा रहा है।
चुनाव से पहले रणनीति?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ये फैसले आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर लिए गए हैं, जो अक्टूबर-नवंबर 2025 में होने की संभावना है। नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) और सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन ने पिछले लोकसभा चुनावों में बेहतर प्रदर्शन किया था, और अब विधानसभा चुनावों में भी अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश में है। वेतन वृद्धि और भर्ती जैसे कदमों को मतदाताओं, खासकर सरकारी कर्मचारियों और युवाओं को लुभाने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है।
विपक्ष का हमला
हालांकि, विपक्ष ने इस फैसले की आलोचना की है। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता तेजस्वी यादव ने इसे "चुनावी स्टंट" करार देते हुए कहा, "जब राज्य में बाढ़ और बेरोजगारी से लोग परेशान हैं, तब सरकार मंत्रियों के वेतन बढ़ाने में व्यस्त है। यह जनता के साथ धोखा है।" उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार विशेष राज्य का दर्जा हासिल करने में नाकाम रही है, जिसकी जगह ये "छोटे-मोटे पैकेज" दिए जा रहे हैं।
अन्य प्रस्तावों पर भी मुहर
कैबिनेट ने शिक्षा विभाग के अलावा बुनियादी ढांचे और सामाजिक कल्याण से जुड़े कई प्रस्तावों को भी मंजूरी दी। इसमें गंगा नदी के किनारे सिमरिया घाट के विकास और सौंदर्यीकरण का प्रस्ताव शामिल है। साथ ही, पिछड़े और अति पिछड़े वर्गों के छात्रों के लिए एक नई छात्रवृत्ति योजना शुरू करने का फैसला भी लिया गया है।
जनता की प्रतिक्रिया
इन फैसलों को लेकर जनता के बीच मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। जहां कुछ लोग नौकरी के अवसरों की घोषणा का स्वागत कर रहे हैं, वहीं कईयों का मानना है कि मंत्रियों के वेतन में बढ़ोतरी का फैसला समय की जरूरत नहीं था। पटना के एक युवा राकेश कुमार ने कहा, "नौकरियां मिलना अच्छी बात है, लेकिन मंत्रियों का वेतन बढ़ाना समझ से परे है।"
आगे की राह
नीतीश सरकार के इन कदमों का असर विधानसभा चुनावों में कितना दिखेगा, यह तो वक्त ही बताएगा। फिलहाल, सरकार का दावा है कि ये फैसले बिहार के विकास और जनता के हित में उठाए गए हैं। दूसरी ओर, विपक्ष इसे सत्ताधारी गठबंधन की चुनावी रणनीति का हिस्सा करार दे रहा है। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएंगे, इन मुद्दों पर बहस और तेज होने की उम्मीद है।