RG Kar Medical College:आरजी कर मेडिकल कॉलेज में उत्पीड़न और विरोध: छात्राओं का दर्द और प्रिंसिपल संदीप घोष के समर्थकों की धमकियां

RG Kar Medical College:छात्रों ने सीबीआई से मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है, ताकि इस प्रकरण के पीछे छिपे असल कारणों का खुलासा हो सके|

RG Kar Medical College:आरजी कर मेडिकल कॉलेज में उत्पीड़न और विरोध: छात्राओं का दर्द और प्रिंसिपल संदीप घोष के समर्थकों की धमकियां

कोलकाता|  कोलकाता स्थित आरजी कर मेडिकल कॉलेज में उत्पीड़न और भ्रष्टाचार के आरोपों से छात्रों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। एक इंटर्न ने बताया कि कैसे हॉस्टल की मांग को लेकर किए गए विरोध प्रदर्शन के बाद उन्हें तीसरे साल की परीक्षा में फेल कर दिया गया, हॉस्टल से निकाल दिया गया और समाज से अलग-थलग कर दिया गया। इसके चलते उन्हें खुदकुशी का प्रयास भी करना पड़ा। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रिंसिपल पद से संदीप घोष के हटने के बावजूद उनके समर्थक अभी भी कॉलेज में सक्रिय हैं और छात्रों पर नजर रख रहे हैं।

एक अन्य मेडिकल छात्रा ने बताया कि कैसे संदीप घोष के समर्थकों को ही गोल्ड मेडल और हाउस स्टाफ की भूमिकाएं दी गईं, जबकि विरोध करने वालों को अनुचित काम के घंटे दिए गए और उन्हें तरह-तरह के उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। रेप और मर्डर के बाद संदीप घोष के करीबी लोगों ने छात्रों को विरोध प्रदर्शन से रोकने की कोशिश की, जिससे छात्रों में भय और असुरक्षा का माहौल बना हुआ है। 

 मेडिकल स्टूडेंट का कहाना है ये हम में से किसी के साथ भी हो सकता था। आरजी कर में संदीप घोष को प्रिंसिपल बनाए रखने का समर्थन करने वालों को ही गोल्ड मेडल या हाउस स्टाफ की भूमिकाएं मिलीं। जिस किसी ने भी थोड़ी भी आवाज उठाई, उसे काम के अनुचित घंटे दिए गए और हर तरह के उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा।मेडिकल स्टूडेंट्स का कहना है कि 9 अगस्त को रेप और मर्डर के बाद संदीप घोष के करीबी लोग छात्रों को विरोध प्रदर्शन शुरू करने से रोकने की कोशिश कर रहे थे। चेस्ट मेडिसीन विभाग के स्टूडेंट ने कहा, ‘ये सीनियर्स आए और उन्होंने फर्स्ट और सेकंड ईयर के जूनियर्स से कहा कि विरोध प्रदर्शन में शामिल होने की कोई जरूरत नहीं है’। यह पूछे जाने पर कि उनके अनुसार संदीप घोष का प्रिंसिपल बने रहना क्यों जरूरी था, तो ऑर्थोपेडिक इंटर्न ने कहा, ‘जाहिर है कि वो कुछ छिपाने की कोशिश कर रहे थे। हम छात्र हैं, इसलिए नहीं जानते कि यह ड्रग रैकेट था या सेक्स रैकेट या कुछ और। सीबीआई को हमें यह बताना चाहिए। लेकिन जिस तरह से उनके गुट ने 2021 में एक नए प्रिंसिपल को कार्यभार नहीं संभालने दिया और फिर विरोध करने वाले किसी को भी निशाना बनाया, इससे पता चलता है कि कुछ न कुछ तो छिपाना था।