MP NEWS: उमरिया जिला कारागार के पास जंगल में भीषण आग, वन विभाग की लापरवाही से बढ़ा पर्यावरणीय संकट

उमरिया जिला कारागार के पास जंगल में लगी भीषण आग ने 50 एकड़ क्षेत्र को नष्ट कर दहशत फैलाई। वन विभाग की सुस्त प्रतिक्रिया और लापरवाही ने पर्यावरणीय नुकसान को बढ़ाया। स्थानीय लोगों में आक्रोश, प्रशासन से ठोस कदमों की मांग।

MP NEWS: उमरिया जिला कारागार के पास जंगल में भीषण आग, वन विभाग की लापरवाही से बढ़ा पर्यावरणीय संकट

उमरिया, 23 अप्रैल 2025: मध्य प्रदेश के उमरिया जिले में जिला कारागार के समीप डिपो कस्टागार क्षेत्र के जंगल में लगी भीषण आग ने स्थानीय लोगों में दहशत फैला दी। लगभग 50 एकड़ क्षेत्र में फैली इस आग ने जंगल की झाड़ियों, सूखे पत्तों और पेड़ों को अपनी चपेट में ले लिया। आग की लपटें इतनी तीव्र थीं कि राहगीर और आसपास के निवासी स्तब्ध रह गए। इस घटना ने वन विभाग की लापरवाही और जंगल क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था की कमियों को उजागर कर दिया है।

आग की शुरुआत: रहस्यमयी कारण

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, आग की शुरुआत कैसे हुई, इसका कोई स्पष्ट कारण सामने नहीं आया है। कुछ लोगों का मानना है कि सूखे मौसम और तेज हवाओं ने छोटी-सी चिंगारी को विकराल रूप दे दिया। हालांकि, यह सवाल उठ रहा है कि नियमित पेट्रोलिंग और निगरानी का दावा करने वाला वन विभाग इस घटना के संकेतों को क्यों नहीं भांप सका। क्षेत्र में तैनात सैकड़ों वन कर्मचारियों के बावजूद आग को समय रहते नियंत्रित करने में नाकामी ने प्रशासनिक की कमी को स्पष्ट कर दिया।

वन विभाग की लापरवाही उजागर

उमरिया जिले में वन विभाग के पास 400 से अधिक कर्मचारी तैनात हैं, जो नगर और ग्रामीण क्षेत्रों में जंगलों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार हैं। इसके बावजूद, आग की सूचना मिलने के बाद विभाग की प्रतिक्रिया सुस्त रही। स्थानीय निवासियों ने बताया कि आग की लपटें जंगल के बीचों-बीच पहुंच चुकी थीं, और यदि एक राहगीर ने समय रहते इसकी सूचना न दी होती, तो यह आग आसपास की बस्तियों तक पहुंच सकती थी। 

वन विभाग के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि क्षेत्र में नियमित गश्त होती है, लेकिन सूखे मौसम में आग लगने की संभावना को कम करने के लिए पर्याप्त उपाय नहीं किए गए। जंगल में सूखे पत्तों और घास को हटाने जैसे निवारक कदमों की कमी ने स्थिति को और गंभीर बना दिया। 

पर्यावरण और वन्यजीवों पर खतरा

इस आग ने न केवल वन संपदा को भारी नुकसान पहुंचाया, बल्कि क्षेत्र के वन्यजीवों के लिए भी खतरा पैदा कर दिया। उमरिया जिला, जो बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के लिए प्रसिद्ध है, अपनी समृद्ध जैव-विविधता के लिए जाना जाता है। आग से कई पेड़-पौधे, छोटे जीव-जंतु और पक्षियों के आवास नष्ट हो गए। स्थानीय पर्यावरणविदों ने चिंता जताई कि ऐसी घटनाएं दीर्घकालिक रूप से क्षेत्र के पारिस्थितिक संतुलन को प्रभावित कर सकती हैं। 

स्थानीय लोगों में आक्रोश

आग की घटना ने स्थानीय निवासियों में आक्रोश पैदा कर दिया है। ग्राम अमिलिहा के निवासी रामलाल ने कहा, "वन विभाग हर साल जागरूकता अभियान चलाता है, लेकिन जब जरूरत पड़ती है, तो कोई कार्रवाई नहीं होती। अगर समय रहते आग पर काबू पा लिया जाता, तो इतना नुकसान नहीं होता।" कई लोगों ने बताया कि आग की लपटें इतनी तेज थीं कि वे बारूद की तरह जल रही थीं, जिससे आसपास का माहौल धुंध और धुएं से भर गया। 

आग पर काबू, लेकिन देरी से

आग की सूचना के बाद वन विभाग की टीमें और दमकल वाहन मौके पर पहुंचे, लेकिन आग को पूरी तरह नियंत्रित करने में कई घंटे लग गए। अनुविभागीय अधिकारी (वन) दिगेंद्र सिंह ने बताया कि आग पर अब काबू पा लिया गया है और क्षेत्र में सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है ताकि कोई चिंगारी दोबारा न भड़के। हालांकि, उन्होंने आग के कारणों और नुकसान की विस्तृत जानकारी देने से इनकार कर दिया।