हाथरस हादसा: बाबा के पंडाल में भगदड़ की पूरी कहानी
हाथरस के सिकंदराराऊ के फुलरई मुगलगढ़ी गांव में 2 जुलाई, मंगलवार के दिन जो अमंगल हुआ शायद ही उसे कभी भुलाया जा सके। भगदड़ में 121 लोगों की जान गई, जिनमें ज्यादातर महिलाएं हैं। कई लोग घायल हो गए। घटना के बाद लोगों में दर्द है तो आयोजकों की लापरवाही पर गुस्सा भी।

2 जुलाई को हाथरस के सिकंदराराऊ के फुलरई मुगलगढ़ी गांव में एक सत्संग के दौरान भगदड़ मचने से 121 लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए। इस हादसे के लिए पुलिस और प्रत्यक्षदर्शी लाठी-डंडे वाले सेवादारों और सुरक्षागार्डों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। उनका कहना है कि अगर वे रोकटोक और धक्का मुक्की न करते, तो इतनी बड़ी घटना नहीं होती।
हादसे की टाइमलाइन :
12 बजे दोपहर: साकार विश्वहरि बाबा उर्फ भोले बाबा का सत्संग शुरू हुआ। आयोजन के लिए 80 हजार लोगों की अनुमति थी, लेकिन करीब 2.50 लाख लोग आ गए।
12.30 बजे: बाबा पंडाल में पहुंचे। बाबा की प्राइवेट आर्मी ने ट्रैफिक व्यवस्था और अन्य इंतजाम देख रहे थे। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, वीडियो बनाने की अनुमति नहीं थी और बाबा की प्राइवेट आर्मी ने नियमों का उल्लंघन करने वालों पर लाठी बरसाई।
12.45 बजे: बाबा ने एक घंटे तक प्रवचन दिए। भीड़ सुबह से ही बाबा की झलक पाने को बेताब थी। स्थानीय लोग कह रहे हैं कि अगर बाबा कार्यक्रम को दो से चार घंटे का समय देते, तो यह हादसा न होता।
1.47 बजे: आरती शुरू हुई और बाबा के अनुयायियों में गहमागहमी मच गई।
2 बजे: बाबा ने सत्संग समाप्ति की घोषणा की। बाबा की प्राइवेट आर्मी ने आयोजन स्थल की सारी व्यवस्था संभाल ली, लेकिन भीड़ को संभालने के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं थे।
2.30 बजे: बाबा का काफिला निकला। भीड़ को रोक दिया गया, जिससे भगदड़ मच गई। भगदड़ में लोग मरते रहे और बाबा के कारिंदे गाड़ियों से भागते रहे।
3.15 बजे: शव सीएचसी व ट्रॉमा सेंटर पर पहुंचे। 38 घायलों को विभिन्न अस्पतालों में रेफर किया गया।
पुलिस की कार्रवाई :
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मोर्चा संभालने के बाद पुलिस ने छह अभियुक्तों की गिरफ्तारी की है, जिनमें सत्संग आयोजन समिति से जुड़े चार पुरुष और दो महिलाएं शामिल हैं। गिरफ्तार अभियुक्तों में राम लडैते यादव (मैनपुरी), मंजू यादव (हाथरस), उपेंद्र सिंह यादव (फिरोजाबाद), मंजू देवी यादव (हाथरस), मेघ सिंह (हाथरस) और मुकेश कुमार (हाथरस) शामिल हैं।
लापरवाही के पहलू :
- 80 हजार लोगों की अनुमति के बावजूद केवल 40 पुलिसकर्मी तैनात थे।
- 50 हजार से ज्यादा की भीड़ जुटने का एलआईयू इनपुट नहीं था।
- आयोजन स्थल पर केवल 2 इंस्पेक्टर तैनात थे।
- केवल 2 एंबुलेंस और कोई दमकल व्यवस्था नहीं थी।
- डीएम और एसपी घटनास्थल पर 2:45 घंटे बाद पहुंचे।
- अधिकारियों का समन्वय शाम 6 बजे के बाद स्थापित हो सका।
इस हादसे ने आयोजनकर्ताओं की लापरवाही और सुरक्षा व्यवस्था की कमी को उजागर किया है। पुलिस और प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, अगर सही समय पर कदम उठाए जाते, तो इस बड़ी त्रासदी से बचा जा सकता था।
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