ग्वालियर-चंबल के बीजेपी नेता: डबल इंजन सरकार का वादा एक, मंच अलग-अलग

ग्वालियर-चंबल में भाजपा के "डबल इंजन सरकार" के नारे के बावजूद, ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर की आपसी फूट ने विकास को ठप कर दिया है। दोनों नेताओं के समर्थकों के बीच श्रेय की होड़ और राजनीतिक टकराव ने परियोजनाओं को अटका दिया, जिससे जनता में नाराजगी बढ़ रही है। व्यापारिक संगठन भी बंट गए हैं, और क्षेत्र विकास की राह से भटक गया है।

ग्वालियर-चंबल के बीजेपी नेता: डबल इंजन सरकार का वादा एक, मंच अलग-अलग
ग्वालियर-चंबल में डबल इंजन का ढोंग: भाजपा नेताओं की आपसी फूट से विकास पटरी से उतरा
ग्वालियर, 9 अप्रैल 2025: पिछले एक दशक से हर चुनाव में भाजपा का नारा "डबल इंजन सरकार से विकास को रफ्तार" गूंजता रहा है, लेकिन ग्वालियर-चंबल अंचल में यह नारा अब मजाक बनकर रह गया है। डबल इंजन का दावा करने वाले भाजपा के बड़े नेता, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, अलग-अलग मंचों पर सक्रिय हैं। उनकी आपसी खींचतान ने न सिर्फ क्षेत्र के विकास को ठप कर दिया है, बल्कि हर नई परियोजना के साथ श्रेय लेने की होड़ ने जनता की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।
ग्वालियर-चंबल अंचल में भाजपा के दो दिग्गज नेताओं के होने से लोगों को उम्मीद थी कि केंद्रीय और राज्य सरकार के तालमेल से विकास की गति बढ़ेगी। मगर हकीकत इसके उलट है। हाल के दिनों में न्यू सिटी सेंटर के रेलवे ओवर ब्रिज के उद्घाटन और ग्वालियर-शिवपुरी वेस्टर्न बाइपास जैसे प्रोजेक्ट्स में दोनों नेताओं के समर्थकों के बीच खुली तकरार देखने को मिली। यह राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता अब आम लोगों के बीच भी चर्चा का विषय बन चुकी है।
वर्चुअल लोकार्पण और दूरी का खेल
मंगलवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने ग्वालियर के विवेकानंद नीडम पुल का वर्चुअल लोकार्पण किया। इस कार्यक्रम में नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया भी वर्चुअल ही शामिल हुए, जबकि सिंधिया उस वक्त अंचल में मौजूद थे। हैरानी की बात यह रही कि सिंधिया समर्थकों ने इस आयोजन से दूरी बनाए रखी। दो साल में बनने वाला यह पुल नौ साल बाद तैयार हुआ, लेकिन उद्घाटन के मौके पर भी दोनों नेताओं के बीच श्रेय की लड़ाई साफ दिखी।
सूत्रों की मानें तो जनता के बढ़ते दबाव के बाद भोपाल तक बात पहुंची। आक्रोश को शांत करने के लिए मुख्यमंत्री ने पहले खुद लोकार्पण की बात कही, लेकिन दोनों धड़ों के टकराव को देखते हुए आखिरी वक्त में वर्चुअल उद्घाटन का फैसला लिया गया।
भाजपा संगठन की सख्ती के चलते सिंधिया और तोमर सीधे एक-दूसरे पर हमला करने से बच रहे हैं, लेकिन अपने समर्थकों के जरिए जंग छेड़ रखी है। हाल ही में सिंधिया समर्थक ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने सार्वजनिक रूप से कहा कि ग्वालियर-चंबल विकास की दौड़ में पीछे छूट रहा है। जवाब में नरेंद्र सिंह तोमर खेमे के सांसद भारत सिंह कुशवाह ने वेस्टर्न बाइपास की मंजूरी की खबर सोशल मीडिया पर फैलाई। इसके बाद सिंधिया समर्थकों ने शहर में लगे होर्डिंग्स से सांसद का नाम ही गायब कर दिया।ग्वालियर व्यापार मेला भी इस टकराव का शिकार हुआ। इस साल मेला बिना उद्घाटन और समापन समारोह के खत्म करना पड़ा, जो क्षेत्र की साख के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
व्यापारिक संगठन भी बंटा
इस राजनीतिक द्वंद्व ने मध्य प्रदेश चैंबर ऑफ कॉमर्स को भी दो हिस्सों में बांट दिया। अध्यक्ष प्रवीण अग्रवाल सिंधिया के करीबी माने जाते हैं और उनके कार्यक्रमों में शिरकत करते हैं। वहीं, सांसद भारत सिंह कुशवाह ने संयुक्त अध्यक्ष हेमंत गुप्ता और कुछ पदाधिकारियों को साथ लेकर दिल्ली में केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात की। यह विभाजन व्यापारिक हितों को भी प्रभावित कर रहा है।
क्षेत्र के निवासी राकेश यादव कहते हैं, "हमने सोचा था कि डबल इंजन से सड़कें, पुल और नौकरियां आएंगी। लेकिन नेताओं की लड़ाई में सब अटक गया। नौ साल में एक पुल बना, वो भी उद्घाटन के लिए झगड़ा हो गया।" विकास की यह सुस्ती और नेताओं की आपसी रंजिश अब जनता के गुस्से का कारण बन रही है।
ग्वालियर-चंबल अंचल में डबल इंजन सरकार का वादा अब केवल नारों तक सिमट गया है। अगर भाजपा को जनता का भरोसा बनाए रखना है, तो सिंधिया और तोमर को अपनी प्राथमिकताएं बदलनी होंगी। नहीं तो यह क्षेत्र विकास की पटरी पर दोबारा लौटने के बजाय और पीछे छूट जाएगा। फिलहाल, जनता इस इंतजार में है कि कब ये नेता अपनी लड़ाई छोड़कर उसके हितों की सोचेंगे।