Ram Mandir Inauguration: ना आने की अपील के बाद आडवाणी और जोशी को मिला राम मंदिर उद्घाटन का न्योता

Ram Mandir Inauguration: ना आने की अपील के बाद आडवाणी और जोशी को मिला राम मंदिर उद्घाटन का न्योता

Ram Mandir Inauguration: ना आने की अपील के बाद आडवाणी और जोशी को मिला राम मंदिर उद्घाटन का न्योता

Ram Mandir Inauguration: लाल कृष्ण आडवाणी को राम मंदिर के उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल होने के लिए न्योता दिया गया है, जिसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी को भी शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है। यह निमंत्रण विश्व हिंदू परिषद की ओर से है। आडवाणी को आरएसएस के नेताओं कृष्णगोपाल और रामलाल ने दिया गया है। उसके बाद, सोमवार को राम मंदिर ट्रस्ट के सचिव चंपत राय ने भी आडवाणी और जोशी को आयोध्या में न आने की अपील की थी, लेकिन अब उन्हें कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है। इस मौके पर आडवाणी की बेटी प्रतिभा भी मौजूद थी। 

आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को 22 जनवरी 2024 को आयोध्या में होने वाले कार्यक्रम में शामिल होने के लिए निमंत्रण भेजा गया है। इस निमंत्रण के बाद, राम मंदिर ट्रस्ट के सचिव चंपत राय ने भी दोनों नेताओं से अपील की थी कि वे अपने स्वास्थ्य और आयु को देखते हुए कार्यक्रम में नहीं आएं, लेकिन उन्हें फिर भी औपचारिक रूप से निमंत्रित किया गया है।

राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आरएसएस के नेताओं कृष्णगोपाल और रामलाल द्वारा आमंत्रित किया गया है। इस मौके पर उनकी बेटी प्रतिभा भी मौजूद थी। उसके अगले ही दिन, उन्हें राम मंदिर के उद्घाटन कार्यक्रम में भी औपचारिक निमंत्रण दिया गया है। इससे देखना होगा कि आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी क्या फैसला करते हैं। चंपत राय ने दोनों नेताओं से अपील की थी कि वे अपने स्वास्थ्य और आयु को देखते हुए अयोध्या न आएं, लेकिन उन्हें फिर भी आमंत्रित किया गया है। राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या तक रथयात्रा निकाली थी, जिसे बहुत समर्थन मिला था।

मुरली मनोहर जोशी भी अटल-आडवाणी के दौर में भाजपा के प्रमुख थे। और उन्होंने कन्याकुमार से श्रीनगर तक एकता यात्रा का संचालन किया था। इसमें मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी एक महत्वपूर्ण भूमिका थी। दोनों नेता उन लोगों में शामिल थे। जिन पर बाबरी मस्जिद के विध्वंस के मुकदमे में लगभग तीन दशक तक सुनवाई हुई थी। बता दें कि 6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद की ध्वंस की गई थी।